Ek Deewane ki Deewaniyat Film Review : One Sided Love, Emotions का भारी तड़का है हर्षवर्धन राने की फ़िल्म में

अभिनेता हर्षवर्धन राणे की दिवाली के मौके पर रिलीज़ हुई एक दीवाने की दीवानियत मोस्ट अवेटेड फ़िल्म 21 अक्टूबर सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दिया गया है। इस फ़िल्म में मैं एक्ट्रेस सोनम बाजवा है। तो आइए रिव्यू में जानते हैं कैस है फ़िल्म।

image credit :- YT/t-series

इस साल एक्टर हर्षवर्धन राणे ने “ सनम तेरी कसम “ री रिलीज़ किया था, जो फैन्स को काफ़ी पसंद आई। आपने सोशल मीडिया पर फ़िल्म को लेकर क्रेज़ देखा होगा कि किस तरह फ़िल्म के डायलॉग को लेकर शोर्ट वीडियो बनाये जा रहे थे। अब इस दिवाली के ख़ास उत्सव पर हर्षवर्धन राने ने अपनी फ़िल्म “ एक दीवाने की दिवानियत “ को रिलीज़ किया है जिसमे हेरोइन का रोल सोनम बजवा को दिया गया है।

कहानी क्या है इस फ़िल्म की ?

एक दीवाने की दिवानियत की कहानी, एक बहुत बड़े दबंग, ताक़तवर पॉलिटिशियन के बेटे की है। जिसका नाम विक्रमादित्य भोंसले ( हर्षवर्धन राने ) है। पूरे शहर में उसका ऐसा ख़ौफ़ है की मुख्यमंत्री तक उसे अपना सीट ऑफर कर देता है। हर्षवर्धन राणे का एक डायलॉग है “ मेरी मर्जी ही मेरी मर्जी है “ बचपन से विक्रमादित्य भोसलें को ऐसे पाला गया है कि उसका हर इच्छा ही उसका आदेश बन जाता है। मतलब उसने जो सोचा वही होगा। एक दिन विक्रमादित्य की नजर बॉलीवुड की हेरोइन अदा (सोनम बजवा)पर पड़ती है तो वो उसे पाने की ठान लेता है की किसी तरह उसे पाना ही है। क्यूंकि सत्ता और ताक़त का गुरूर विक्रमादित्य के सर पर चढ़ कर बोल रहा होता है। लेकिन अदा विक्रमादित्य भोंसले को एक अहंकारी पुरुष के रूप में देखती है और प्यारा का मतलब उसके लिए इज्जत है। फ़िल्म में दिखाया गया है की विक्रमादित्य भोसले अदा को शादी के लिए एक महीने का वक्त देता है की तुम्हें मुझसे एक महीने में शादी करनी ही होगी।

विक्रमादित्य अदा से शादी करने के लिए हर तरीका आजमाने लगता है तो अदा पूरी तरह से टूट जाती है। वो ख़ुद को अपमानित महसूस करने लगती है तो एक दिन अदा विक्रमादित्य भोसलें के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाती है और उसी के भाषा में उसको जवाब देना शुरू कर देती है। लेकिन कहानी का सबसे खतरनाक मोड़ तब आता है जब अदा गुस्से और विक्रमादित्य भोसलें से बदला लेने के लिए ये ऐलान कर देती है की

” जो भी दशहरे तक उसको मारेगा, मैं उसके साथ एक रात गुज़रूँगी “ इसके बाद क्लाइमेक्स बदल जाता है और ये एक ऐसा वजह बन जाता है जो हर किरदार की किस्मत को बदल कर रख देता है। सत्ता के नशे में चूर विक्रमादित्य का पागलपन, अदा का ना मानना और दोनों के बीच का जंग, अंत में उन्हें एक ऐसे मोड़ पर ला कर खड़ा कर देता है जहाँ सब कुछ धुंधला पड़ने लगता है।

EK DEEWANE KI DEEWANIYAT, TRAILER

फ़िल्म एक दीवाने की दिवानियत, रिव्यू

फर्स्ट हाफ में फ़िल्म “ एक दीवाने की दीवानीयत “ की कहानी महाराष्ट्र के राजनीति से होती है। जिसमे सत्ता के लिए संघर्ष किया जाता है। विक्रमादित्य भोंसले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में लगे हैं। जो अपनी जिद्द के लिए मशहूर है. एक दिन विक्रम की नज़र अदा रंधावा पर पड़ती है। अदा की एक नज़र देखने के लिए लोग पागल रहते हैं। अदा का जादू विक्रमादित्य भोंसले पर भी चल जाता है और उसी समय विक्रमादित्य को अदा रंधावा से प्यार हो जाता है। लेकिन ये प्यार बहुत जल्द पागलपन में बाद जाता है। विक्रमादित्य भोंसले अदा के प्यार में इतने पागल हो जाते हैं की

बिना अदा की परमिशन लिए वो शादी का ऐलान कर देते हैं लेकिन अदा रंधावा को विक्रम से प्यार नहीं होता है ना ही उसे वो देखना चाहती है।

दूसरे हाफ में इमोशनल ड्रामा

पहले हाफ में तो दोनों की कहानी अच्छी चल रही होती है, जहाँ विक्रमादित्य अदा के प्यार में पागल रहते हैं, वहीं अदा विक्रमादित्य से नफ़रत करती है। दूसरा हाफ आते आते कहानी स्लो हो जाती है, जैसे ही कहानी इमोशनल ड्रामा पर आता है तो वो कमजोर पड़ने लगता है। दूर दूर तक तर्क नज़र नहीं आता। कहानी सियासी खेल से शुरू होती है लेकिन सियासी खेल अचानक से ग़ायब हो जाता है। हालांकि कहानी को लास्ट तक इसका म्यूजिक गाना संभाल कर रखते हैं।

इसके कुछ खतरनाक डायलॉग है जो फ़िल्म में बोले जाते हैं। “ कैसी मेरी तक़दीर है की मेरे पास सिर्फ़ तेरी तस्वीर है” “तेरे लिए मेरा प्यार मारते दम तक रहेगा” “तू तोड़ भी देगी दिल मेरा तो टूटा दिल तेरे लिए धड़केगा” ये डायलॉग फ़िल्म की जान है जिसपे दर्शक जमकर सिटियां बजाने को मजबूर हो जाते हैं। अगर इस कहानी की सिर्फ़ एक शब्द में समझना है तो पुरुष का ग़ुरूर, जिद्द और औरत की इच्छा के उपर पूरी कहानी है।

हर्षवर्धन राने की एक्टिंग कैसी है

पूरे फ़िल्म में हर्षवर्धन राने की एक्टिंग देखने लायक है, इस किरदार को हरवर्धन राने ने अपने दिल से निभाया है। इस फ़िल्म में सोनम बाजवा भी बहुत खूबसूरत लगती है। सिर्फ़ फ़िल्म में ही नहीं अगर आप सोनम बजावा को ऐसे भी देखेंगे तो आप उसके दीवाने हो जाएँगे। सचिन खेड़कर जो विक्रमादित्य के पिता का रोल कर रहे हैं उन्हीं बहुत जबरदस्त एक्टिंग करी है।

शाद रंधावा शुरू से लेकर अंत तक हर्षवर्धन राने के साथ नज़र आते है लेकिन क्लाइमेक्स को छोड़कर कुछ ख़ास नहीं किया। ये हो सकता है की दर्शक क्लाइमेक्स के कारण शाद रंधावा को याद करें। अब ये देखना बाकी है की आने वाले टाइम में ये फ़िल्म कौन सा कमाल करती है और कितने का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर पाती है। अगर इस फ़िल्म को एक लाइन में बोला जाए क्या कहना है तो इसे म्यूजिकल फ़िल्म भी बोल सकते हैं, क्युकी सभी गाने कमाल के हैं।

सनम तेरी क़सम vs एक दीवाने की दिवानियत

दर्शकों की जानकारी के लिए बता दे की ये फ़िल्म “सनम तेरी क़सम” से काफ़ी लगा है। दोनों फ़िल्म की कहानी काफ़ी अलग है। दोनों फ़िल्म का कोई कनेक्शन ही कहीं पर नहीं दिखता है। सनम तेरी क़सम में हर्षवर्धन राने यानी की इंदर को लव से नफ़रत होता है वहीं इस फ़िल्म में वो अदा रंधावा के प्यार में अपना पागलपन दिखाते हुए नज़र आते हैं। आखरी बात ये है की विक्रमादित्य भोंसले अदा रंधावा को हासिल कर पाते हैं या नहीं ये जानने के लिए आपको सिनेमा हॉल में जाना पड़ेगा।

My name is Hukumdeo Narayan Singh, I am Writer and Founder of this website and I work in a private hotel. I graduated from Quantum University, Roorkee, with a Bachelor of Hotel Management. This is my first website, which I customized myself. I want people to get accurate news.

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